Tuesday, November 2, 2010

इरशाद














है हर तरफ से आ रहा इतना प्यार,
फिर भी है दिल को उस एक की दरकार|
उस ओर भँवरे बिना तनहा वो फूल..
यहाँ तू बीते लम्हे में मुश्गूल||
तन्हाई की ओढ़ में न छुप तू..
इतने प्यार से न डर तू|
ज़िन्दगी तुझ पर भी है मेहरबान..
हैं तेरे भी इतने कद्रदान ||
भूल न तू- इन्सान को दूजे की थाली हमेशा सुहाती!
समझेगा तू कब नादान ए दिल... कसे मुट्ठी में मिटटी नहीं समाती!

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